राष्ट्रीय चम्बल वन्य जीव अभयारण्य
राष्ट्रीय चम्बल वन्य जीव अभयारण्य राजस्थान के कोटा से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह अभ्यारण्य 280 वर्ग किलोमीटर के जल क्षेत्र में फैला हुआ है। दक्षिण पूर्वी राजस्थान में चम्बल नदी पर राणा प्रताप सागर से चम्बल नदी के बहाव तक इसका फैलाव है।
• यह वन्य जीव अभयारण्य घड़ियालों और पतले मुँह वाले मगरमच्छों के लिए बहुत लोकप्रिय है।
• पानी में मगरमच्छ तथा घड़ियाल प्रकृति की गोद में अपना जीवन-यापन एवं वंश समृद्धि करते हैं।
• इस अभयारण्य को 'दर्राह वन्य जीव अभयारण्य' भी कहा जाता है।
• अभयारण्य में चीते, वाइल्डबोर, तेंदुए और हिरन आदि प्रमुख रूप से पाए जाते हैं।
• यहाँ पर बहुत कम जगह दिखाई देने वाला दुर्लभ 'कराकल' भी देखा जा सकता है।
• इस अभयारण्य का मुख्य उद्देश्य घड़ियालों की प्रजाति को संरक्षित करना तथा उनकी संख्या में वृद्धि करना है।
जैव संरक्षण
वन्य जीव जो पर्यावरण का एक अभिन्न अंग है, देश के धन का गठन करता है। इसमें जंगली जानवर, पक्षी, पौधे आदि शामिल हैं। फिर भी, इंसान प्रगति और विकास की प्रक्रिया में और अपने स्वा र्थ के लिए, वनों और वन्य जीव को बहुत नुकसान पहुँचा रहा है। वन्य जीवन प्रकृति का उपहार है और इसकी गिरावट से पारिस्थितिकी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और इसलिए वन्य जीवों की रक्षा की तत्काल आवश्यकता है। इसलिए, विनाश से वन्य जीवों की रक्षा के लिए, भारतीय संसद ने वर्ष 1972 में वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम पारित किया।
उद्देश्य
इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य जंगली जानवरों, पक्षियों और पौधों को प्रमाणित सुरक्षा प्रदान करना है। कुछ क्षेत्रों को अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित करने के लिए अधिनियम बनाने का अधिकार केन्द्र सरकार को है। अधिनियम जंगली जानवरों तथा पक्षियों आदि के शिकार पर प्रतिबंध लगाता है, और प्रतिबंध के उल्लंघन के लिए दंड देता है।
मुख्य - मुख्य बातें
अधिनियम में 66 धाराएं हैं जो सात अध्यााय और छह अनुसूची में विभाजित है। अध्याय - I (अनुसूची 1 और 2) संक्षिप्त शीर्षक और परिभाषाएं शामिल हैं। अध्या य - II अधिनियम के तहत प्राधिकरण से संबंधित है। अध्याय – III निर्दिष्ट पौधों की सुरक्षा से संबंधित है। अध्याय – IV अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों और अवरूद्ध क्षेत्रों की घोषणा से संबंधित है। अध्याय – IV(अ) केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण और चिड़ियाघरों की मान्यता से संबंधित है। अध्याय – VII जंगली पशु, पशु लेख और ट्राफी के व्यापार या वाणिज्य से संबंधित है। अध्याय – VI अपराधों की रोकथाम और जांच से संबंधित है। और अंत में अध्याय – VII में विविध प्रावधान उपलब्धब हैं।
प्राधिकारी
अधिनियम के अनुसूची 3 के तहत केन्द्रत सरकार को निदेशक और सहायक निदेशक वन्यअजीव संरक्षण तथा अन्यि अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति करने का अधिकार है। इसके अलावा, अनुसूची 4 के तहत राज्यय सरकार को मुख्यक वन प्रबंधक, वन प्रबंधक तथा प्रत्येिक जिले में अवैतनिक वन प्रबंधक और अन्या अधिकारियों तथा कर्मचारियों की आवश्यिकतानुसार नियुक्ति करने का अधिकार है।
जैव संरक्षण, प्रजातियां, उनके प्राकृतिक वास और पारिस्थितिक तंत्र को विलोपन से बचाने के उद्देश्य से प्रकृति और पृथ्वी की जैव विविधता के स्तरों का वैज्ञानिक अध्ययन है।[1][2] यह विज्ञान, अर्थशास्त्र और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के व्यवहार से आहरित अंतरनियंत्रित विषय है।[3][4][5][6] शब्द कन्सर्वेशन बॉयोलोजी को जीव-विज्ञानी ब्रूस विलकॉक्स और माइकल सूले द्वारा 1978 में ला जोला, कैलिफ़ोर्निया स्थित कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय में आयोजित सम्मेलन में शीर्षक के तौर पर प्रवर्तित किया गया। बैठक वैज्ञानिकों के बीच उष्णकटिबंधीय वनों की कटाई, लुप्त होने वाली प्रजातियों और प्रजातियों के भीतर क्षतिग्रस्त आनुवंशिक विविधता पर चिंता से उभरी.[7] परिणत सम्मेलन और कार्यवाहियों ने[1] एक ओर उस समय के पारिस्थितिकी सिद्धांत और जीव-समुदाय जैविकी के बीच मौजूद अंतराल को पाटने और दूसरी ओर संरक्षण नीति और व्यवहार की मांग की.[8] जैव संरक्षण और जैव विविधता की अवधारणा (जैव विविधता), संरक्षण विज्ञान और नीति के आधुनिक युग को निश्चित रूप देने में मदद देते हुए, एक साथ उभरी।
दुनिया भर में स्थापित जैविक प्रणालियों में तेजी से गिरावट का मतलब है जीव संरक्षण को अक्सर "सीमा सहित अनुशासन" के रूप में निर्दिष्ट किया जाता है।[9] जीव विज्ञान छितराव, प्रवास, जनसांख्यिकी, प्रभावी जनसंख्या आकार, अंतःप्रजनन अवसाद और दुर्लभ या लुप्तप्राय प्रजातियों की न्यूनतम आबादी व्यवहार्यता के शोध की पारिस्थितिकी के साथ बारीकी से बंधा हुआ है। जैव संरक्षण, जैव विविधता के रखरखाव, हानि को प्रभावित करने वाले तथ्य और आनुवंशिक, आबादी, प्रजातियां और पारिस्थितिकी तंत्र विविधता को पैदा करने वाली विकासवादी प्रक्रिया को बनाए रखने के विज्ञान से जुड़ी हुई है।[4][5][6] चिंता इस सुझाए गए अनुमान से उभरती है कि अगले 50 सालों में ग्रह के सभी प्रजातियों का 50% लुप्तप्राय हो जाएगा,[10] जिसने ग़रीबी, भुखमरी को योगदान दिया है और इस ग्रह पर विकास की गति को दुबारा सेट किया है।[11][12]
व्यवस्थित संरक्षण की योजना[संपादित करें]
व्यवस्थित संरक्षण योजना उच्च प्राथमिकता वाले जैव विविधता मूल्यों के प्रग्रहण या संपोषण के लिए प्रारक्षित परिकल्पना के कुशल और प्रभावी प्रकारों को प्राप्त करने और पहचानने का प्रभावी तरीक़ा है। मार्गुल्स और प्रेस्सी ने व्यवस्थित योजना अभिगम में छह परस्पर जुड़े चरणों की पहचान की:[56]
• योजना क्षेत्र की जैव विविधता पर डेटा संकलित करें
• योजना क्षेत्र के संरक्षण लक्ष्यों को पहचानें
• मौजूदा संरक्षण क्षेत्रों की समीक्षा करें
• अतिरिक्त संरक्षण क्षेत्रों का चयन करें
• संरक्षण कार्यों को लागू करें
• संरक्षण क्षेत्रों के लिए आवश्यक मानों का अनुरक्षण करें.
चिड़ियाघरों की मान्यता
चिडि़याघर प्राधिकारी की बिना मान्ययता के संचालित नहीं किया जायेगा। कोई भी ब्यडक्ति जो चिडि़याघर संचालित करने का इरादा रखता है, वह निश्चित फार्म में प्राधिकारी से आवेदन करके उसका निर्धारित शुल्कज अदा कर सकता है। आवेदक को सभी शर्तों को पूरा करना चाहिए। इसके बाद ही प्राधिकरण अनुमति देगा। चिडि़याघर को तभी मान्येता प्रदान किया जायेगा जब वन्या जीव की सुरक्षा और संरक्षण के संबंध में निर्धारित मानकों, नियमों तथा अन्यद मामलों के बारे में प्राधिकारी पूरी तरह से आश्वसस्तं होंगे। इस तरह के चिड़ियाघर प्राधिकरण की पूर्व अनुमति के साथ ही इस अधिनियम में निर्दिष्ट किसी भी जंगली जानवर का अधिग्रहण या स्थानांतरण करेगा। कोई भी व्य क्ति किसी जानवर को तंग, छेड़छाड़, घायल नहीं करेगा तथा कुछ नहीं खिलाएगा, शोर या अन्यक माध्यदम से पशुओं को अशांत नहीं करेगा, चिड़ियाघर के मैदान को कूड़े कर्कट से गंदा नहीं करेगा।
अभयारण्य
राज्य सरकार, यदि वन्यह जीव की सुरक्षा और संरक्षण के लिए आरक्षित वन या जल क्षेत्र के भीतर किसी भी क्षेत्र को लायक समझती है तो अधिसूचना द्वारा, एक अभयारण्य के रूप में घोषित कर सकती है।
राष्ट्रीय पार्क
राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा, अभयारण्य के भीतर वन्य जीव की सुरक्षा, प्रचार या विकास के उद्देश्यि के लिए किसी एक क्षेत्र को पारिस्थितिक या अन्य तकनीकी आधार की वजह से जरूरत के आधार पर एक राष्ट्रीय पार्क के रूप में घोषित कर सकती है।
राष्ट्रीय चम्बल वन्य जीव अभयारण्य राजस्थान के कोटा से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह अभ्यारण्य 280 वर्ग किलोमीटर के जल क्षेत्र में फैला हुआ है। दक्षिण पूर्वी राजस्थान में चम्बल नदी पर राणा प्रताप सागर से चम्बल नदी के बहाव तक इसका फैलाव है।
• यह वन्य जीव अभयारण्य घड़ियालों और पतले मुँह वाले मगरमच्छों के लिए बहुत लोकप्रिय है।
• पानी में मगरमच्छ तथा घड़ियाल प्रकृति की गोद में अपना जीवन-यापन एवं वंश समृद्धि करते हैं।
• इस अभयारण्य को 'दर्राह वन्य जीव अभयारण्य' भी कहा जाता है।
• अभयारण्य में चीते, वाइल्डबोर, तेंदुए और हिरन आदि प्रमुख रूप से पाए जाते हैं।
• यहाँ पर बहुत कम जगह दिखाई देने वाला दुर्लभ 'कराकल' भी देखा जा सकता है।
• इस अभयारण्य का मुख्य उद्देश्य घड़ियालों की प्रजाति को संरक्षित करना तथा उनकी संख्या में वृद्धि करना है।
जैव संरक्षण
वन्य जीव जो पर्यावरण का एक अभिन्न अंग है, देश के धन का गठन करता है। इसमें जंगली जानवर, पक्षी, पौधे आदि शामिल हैं। फिर भी, इंसान प्रगति और विकास की प्रक्रिया में और अपने स्वा र्थ के लिए, वनों और वन्य जीव को बहुत नुकसान पहुँचा रहा है। वन्य जीवन प्रकृति का उपहार है और इसकी गिरावट से पारिस्थितिकी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और इसलिए वन्य जीवों की रक्षा की तत्काल आवश्यकता है। इसलिए, विनाश से वन्य जीवों की रक्षा के लिए, भारतीय संसद ने वर्ष 1972 में वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम पारित किया।
उद्देश्य
इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य जंगली जानवरों, पक्षियों और पौधों को प्रमाणित सुरक्षा प्रदान करना है। कुछ क्षेत्रों को अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित करने के लिए अधिनियम बनाने का अधिकार केन्द्र सरकार को है। अधिनियम जंगली जानवरों तथा पक्षियों आदि के शिकार पर प्रतिबंध लगाता है, और प्रतिबंध के उल्लंघन के लिए दंड देता है।
मुख्य - मुख्य बातें
अधिनियम में 66 धाराएं हैं जो सात अध्यााय और छह अनुसूची में विभाजित है। अध्याय - I (अनुसूची 1 और 2) संक्षिप्त शीर्षक और परिभाषाएं शामिल हैं। अध्या य - II अधिनियम के तहत प्राधिकरण से संबंधित है। अध्याय – III निर्दिष्ट पौधों की सुरक्षा से संबंधित है। अध्याय – IV अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों और अवरूद्ध क्षेत्रों की घोषणा से संबंधित है। अध्याय – IV(अ) केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण और चिड़ियाघरों की मान्यता से संबंधित है। अध्याय – VII जंगली पशु, पशु लेख और ट्राफी के व्यापार या वाणिज्य से संबंधित है। अध्याय – VI अपराधों की रोकथाम और जांच से संबंधित है। और अंत में अध्याय – VII में विविध प्रावधान उपलब्धब हैं।
प्राधिकारी
अधिनियम के अनुसूची 3 के तहत केन्द्रत सरकार को निदेशक और सहायक निदेशक वन्यअजीव संरक्षण तथा अन्यि अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति करने का अधिकार है। इसके अलावा, अनुसूची 4 के तहत राज्यय सरकार को मुख्यक वन प्रबंधक, वन प्रबंधक तथा प्रत्येिक जिले में अवैतनिक वन प्रबंधक और अन्या अधिकारियों तथा कर्मचारियों की आवश्यिकतानुसार नियुक्ति करने का अधिकार है।
जैव संरक्षण, प्रजातियां, उनके प्राकृतिक वास और पारिस्थितिक तंत्र को विलोपन से बचाने के उद्देश्य से प्रकृति और पृथ्वी की जैव विविधता के स्तरों का वैज्ञानिक अध्ययन है।[1][2] यह विज्ञान, अर्थशास्त्र और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के व्यवहार से आहरित अंतरनियंत्रित विषय है।[3][4][5][6] शब्द कन्सर्वेशन बॉयोलोजी को जीव-विज्ञानी ब्रूस विलकॉक्स और माइकल सूले द्वारा 1978 में ला जोला, कैलिफ़ोर्निया स्थित कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय में आयोजित सम्मेलन में शीर्षक के तौर पर प्रवर्तित किया गया। बैठक वैज्ञानिकों के बीच उष्णकटिबंधीय वनों की कटाई, लुप्त होने वाली प्रजातियों और प्रजातियों के भीतर क्षतिग्रस्त आनुवंशिक विविधता पर चिंता से उभरी.[7] परिणत सम्मेलन और कार्यवाहियों ने[1] एक ओर उस समय के पारिस्थितिकी सिद्धांत और जीव-समुदाय जैविकी के बीच मौजूद अंतराल को पाटने और दूसरी ओर संरक्षण नीति और व्यवहार की मांग की.[8] जैव संरक्षण और जैव विविधता की अवधारणा (जैव विविधता), संरक्षण विज्ञान और नीति के आधुनिक युग को निश्चित रूप देने में मदद देते हुए, एक साथ उभरी।
दुनिया भर में स्थापित जैविक प्रणालियों में तेजी से गिरावट का मतलब है जीव संरक्षण को अक्सर "सीमा सहित अनुशासन" के रूप में निर्दिष्ट किया जाता है।[9] जीव विज्ञान छितराव, प्रवास, जनसांख्यिकी, प्रभावी जनसंख्या आकार, अंतःप्रजनन अवसाद और दुर्लभ या लुप्तप्राय प्रजातियों की न्यूनतम आबादी व्यवहार्यता के शोध की पारिस्थितिकी के साथ बारीकी से बंधा हुआ है। जैव संरक्षण, जैव विविधता के रखरखाव, हानि को प्रभावित करने वाले तथ्य और आनुवंशिक, आबादी, प्रजातियां और पारिस्थितिकी तंत्र विविधता को पैदा करने वाली विकासवादी प्रक्रिया को बनाए रखने के विज्ञान से जुड़ी हुई है।[4][5][6] चिंता इस सुझाए गए अनुमान से उभरती है कि अगले 50 सालों में ग्रह के सभी प्रजातियों का 50% लुप्तप्राय हो जाएगा,[10] जिसने ग़रीबी, भुखमरी को योगदान दिया है और इस ग्रह पर विकास की गति को दुबारा सेट किया है।[11][12]
व्यवस्थित संरक्षण की योजना[संपादित करें]
व्यवस्थित संरक्षण योजना उच्च प्राथमिकता वाले जैव विविधता मूल्यों के प्रग्रहण या संपोषण के लिए प्रारक्षित परिकल्पना के कुशल और प्रभावी प्रकारों को प्राप्त करने और पहचानने का प्रभावी तरीक़ा है। मार्गुल्स और प्रेस्सी ने व्यवस्थित योजना अभिगम में छह परस्पर जुड़े चरणों की पहचान की:[56]
• योजना क्षेत्र की जैव विविधता पर डेटा संकलित करें
• योजना क्षेत्र के संरक्षण लक्ष्यों को पहचानें
• मौजूदा संरक्षण क्षेत्रों की समीक्षा करें
• अतिरिक्त संरक्षण क्षेत्रों का चयन करें
• संरक्षण कार्यों को लागू करें
• संरक्षण क्षेत्रों के लिए आवश्यक मानों का अनुरक्षण करें.
चिड़ियाघरों की मान्यता
चिडि़याघर प्राधिकारी की बिना मान्ययता के संचालित नहीं किया जायेगा। कोई भी ब्यडक्ति जो चिडि़याघर संचालित करने का इरादा रखता है, वह निश्चित फार्म में प्राधिकारी से आवेदन करके उसका निर्धारित शुल्कज अदा कर सकता है। आवेदक को सभी शर्तों को पूरा करना चाहिए। इसके बाद ही प्राधिकरण अनुमति देगा। चिडि़याघर को तभी मान्येता प्रदान किया जायेगा जब वन्या जीव की सुरक्षा और संरक्षण के संबंध में निर्धारित मानकों, नियमों तथा अन्यद मामलों के बारे में प्राधिकारी पूरी तरह से आश्वसस्तं होंगे। इस तरह के चिड़ियाघर प्राधिकरण की पूर्व अनुमति के साथ ही इस अधिनियम में निर्दिष्ट किसी भी जंगली जानवर का अधिग्रहण या स्थानांतरण करेगा। कोई भी व्य क्ति किसी जानवर को तंग, छेड़छाड़, घायल नहीं करेगा तथा कुछ नहीं खिलाएगा, शोर या अन्यक माध्यदम से पशुओं को अशांत नहीं करेगा, चिड़ियाघर के मैदान को कूड़े कर्कट से गंदा नहीं करेगा।
अभयारण्य
राज्य सरकार, यदि वन्यह जीव की सुरक्षा और संरक्षण के लिए आरक्षित वन या जल क्षेत्र के भीतर किसी भी क्षेत्र को लायक समझती है तो अधिसूचना द्वारा, एक अभयारण्य के रूप में घोषित कर सकती है।
राष्ट्रीय पार्क
राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा, अभयारण्य के भीतर वन्य जीव की सुरक्षा, प्रचार या विकास के उद्देश्यि के लिए किसी एक क्षेत्र को पारिस्थितिक या अन्य तकनीकी आधार की वजह से जरूरत के आधार पर एक राष्ट्रीय पार्क के रूप में घोषित कर सकती है।